Monday, August 14, 2017

आज़ादी की सत्तरवी वर्षगाँठ

आज़ादी की सत्तरवी वर्षगाँठ के ठीक एक दिन पहले....सारी तैयारियां हो चुकी थी।
झंडे का इंतज़ाम...बच्चो का डांस....सांस्कृतिक प्रोग्राम और देशभक्ति के गान।
इस बात की पूरी गारंटी थी कि 70 साल के इस जश्न में कोई कमी न होगी।
कुछ छोटी मोटी त्रुटियां है...जो इस दिन अपनेआप ही सुलझ जाएंगी
रेप पीड़िताओं की सिसकियाँ राष्ट्रगान के आगे छिप जाएंगी।
ऑक्सीजन न मिलने से मरे बच्चो की लाशें तिरंगे के साये तले खो जाएंगी।
वो जिस विधवा को डायन कह के मल खिलाया गया था,
वो स्वच्छ भारत अभियान के तहत धूल जाएंगी।
और कश्मीर में मरनेवालों की चीखें देशभक्ति के नारों के बीच दब जाएंगी।
इस दिन सारी कमियां अपनेआप ही सुलझ जाएंगी...
आईये आज़ादी की सत्तरवी वर्षगांठ का जश्न मनाये...
आईये एक बार फिर से देशभक्ति को याद रखे और देश को भूल जाये...

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