Tuesday, August 15, 2017

Azaadi 2017

आज़ादी का जश्न मनाते मनाते...
मैं थक गया हूँ दागे वतन छुपाते छुपाते...
कभी तिरंगे से ढकी बच्चो की लाशें
कभी देशभक्ति में समेटी रेप की वारदातें
कभी राष्ट्रगीत के बीच गुम कर दी कश्मीर की चीखें
और कभी शहीदों की कहानियों की आड़ में अनसुनी की किसानों की बातें
हाँ....आज़ादी का जश्न मनाते मनाते...
मैं थक गया हूँ दागे वतन छुपाते छुपाते...
- मानबी #आज़ादी_मुबारक

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