Tuesday, August 15, 2017

Azaadi 2017

आज़ादी का जश्न मनाते मनाते...
मैं थक गया हूँ दागे वतन छुपाते छुपाते...
कभी तिरंगे से ढकी बच्चो की लाशें
कभी देशभक्ति में समेटी रेप की वारदातें
कभी राष्ट्रगीत के बीच गुम कर दी कश्मीर की चीखें
और कभी शहीदों की कहानियों की आड़ में अनसुनी की किसानों की बातें
हाँ....आज़ादी का जश्न मनाते मनाते...
मैं थक गया हूँ दागे वतन छुपाते छुपाते...
- मानबी #आज़ादी_मुबारक

Monday, August 14, 2017

घरेलू सहायक -आंटी

"आवि जाओ आंटी"
रोज सुबह ठीक 9 बजे आंटी मेरे घर पहुंचती और में इसी तरह उनका स्वागत करती। मेरे मुह से गुजराती सुनके उनके झुर्रियों भरे चेहरे पे जो मुस्कान आ जाती थी वो मुझे बहुत अच्छी लगती।
आंटी अपनी बातें गुजराती में बताती, में हिंदी में जेवाब देती। आधी बातें उन्हें समझ नही आती....आधी मुझे। पिछले दिनों एक बार उनके पति का फ़ोन आया, तो बोली मेरे उनका फ़ोन था। आंटी ज़्यादातर बिंदी नही लगाती तो मुझे लगा था कि शायद उनके पति नही होंगे। पहली बार उनके पति का ज़िक्र हुआ तो मैंने पूछ लिया कि वो क्या करते है? आंटी ने कहा "कुछ नही ...पहले खेती करता था..अब बूढ़ा हो गया है...क्या करेगा। दोनों बेटे यहाँ शहर में काम करने आये थे। उन्हें पता लगा कि घरो में झाड़ू पोछा करने के अच्छे पैसे मिलते है सो हम बुढ्ढा बुड्ढी को भी ले आये।"
मैने आंटी से पूछा कि गांव अच्छा लगता था या शहर?
आंटी ने तुरंत जेवाब दिया...गांव बहुत अच्छा था। जान पहचान थी...खुली हवा थी। यहां तो हर तरफ घर ही घर है..
आंटी का कहना था कि दोनों बेटों की शादी हो जाये तो वो और उनका पति वापस गांव लौट जाएंगे।
हर रोज़ की तरह जाते हुए मैंने आंटी से कहा " ओके बाये, हैव अ नाइस डे...आई लव यू..."
रोज की तरह बिना इसका मतलब पूछे आंटी ने ये सब कुछ हंसते हुए दोहराया।
पर पता नही उस दिन मुझे क्या हुआ था...मैन उन्हें आई लव यू का मतलब समझाया..."इसका मतलब है ...हूँ तमे प्रेम करू छू" सुनते ही आंटी ज़ोर ज़ोर से हंस दी। फिर बोली "और हैव अ नाईस डे एटले?"
ये मुझे गुजराती में नही आता था तो मैंने हिंदी में ही समझाया। आंटी ने प्यार भरी मुस्कान दी और चल पड़ी।

आज़ादी की सत्तरवी वर्षगाँठ

आज़ादी की सत्तरवी वर्षगाँठ के ठीक एक दिन पहले....सारी तैयारियां हो चुकी थी।
झंडे का इंतज़ाम...बच्चो का डांस....सांस्कृतिक प्रोग्राम और देशभक्ति के गान।
इस बात की पूरी गारंटी थी कि 70 साल के इस जश्न में कोई कमी न होगी।
कुछ छोटी मोटी त्रुटियां है...जो इस दिन अपनेआप ही सुलझ जाएंगी
रेप पीड़िताओं की सिसकियाँ राष्ट्रगान के आगे छिप जाएंगी।
ऑक्सीजन न मिलने से मरे बच्चो की लाशें तिरंगे के साये तले खो जाएंगी।
वो जिस विधवा को डायन कह के मल खिलाया गया था,
वो स्वच्छ भारत अभियान के तहत धूल जाएंगी।
और कश्मीर में मरनेवालों की चीखें देशभक्ति के नारों के बीच दब जाएंगी।
इस दिन सारी कमियां अपनेआप ही सुलझ जाएंगी...
आईये आज़ादी की सत्तरवी वर्षगांठ का जश्न मनाये...
आईये एक बार फिर से देशभक्ति को याद रखे और देश को भूल जाये...