Tuesday, October 4, 2016

मुल्क!

मेरे मुल्क के लोग बहोत खुश है आज
क्या तेरे मुल्क में भी जश्न का माहौल है?
- मानबी

मैं लड़ता था उन परिंदों से
जो तिनके जोड़ने चले थे...
मेरी बज़्म को बचाने की खातिर
-मानबी

अच्छा हुआ कि मर गया कोई अपना
उसके मातम में आजकल मैं लड़ता नहीं अपनों से मेरे।
-मानबी

उजड़ी हुई बस्तियों को बचाने चले हो?
तुम बचे कूचे घरो को भी जलाने चले हो?
- मानबी

बदस्तूर निभाना तुम दुश्मनी उनसे
शर्त ये कि उसके बाद कोई मलाल न हो।
-मानबी

कुछ बर्फ के थे, कुछ रेत के मकान
न आग में टिके, न पानी से बच पाये।
-मानबी

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