Friday, August 14, 2015

आज़ादी 'छोटू' की!!


आज़ादी की 70 वि वर्षगाठ मनाते मनाते,
अचानक देखा एक 7-8 साल के बच्चे को कुछ सामान ढोकर लाते।
उसे आता देख हमें याद आया..
अरे ये तो वही सामान है जो हमने अपनी सोसाईटी की दूकान से है मंगवाया।

सामान उसके हाथो से लेते लेते, हमने यूँही पूछा..
"छोटू आज तो पंद्रह अगस्त है, हर कोई आज़ादी के जश्न में मस्त है,
फिर तू ही क्यों अपने रोज़ के काम में व्यस्त है?
जा जाके आज़ादी मना...
देख सारे बच्चे पतंग बना रहे है,
जा जाकर तू भी बना..."

ये सुनकर छोटू मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते मुस्कुराते, हमसे कहने लगा..

"क्या मैडम.. काहे को झूठे सपने दिखाते हो?
ये आज़ादी वाज़ादी तो आप बड़े लोग फ़ोकट में मनाते हो।
पर हम जैसो को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
एक दिन मज़दूरी न करो तो खाली पेट रात गुज़ारनी पड़ती है।
आज काम नहीं करूँगा,
तो रात को क्या खाऊंगा?
अरे मेरा क्या है, जिस दिन फ़ोकट में खाने को मिलेगा,
उसी दिन आज़ादी मना लूंगा!!!

ये सुनकर हम सुन्न से रह गए।
तिरंगे को लहराते देख ये सोचते रह गए
कि क्या छोटू को कभी फ़ोकट में खाना मिल पायेगा?
छोटू जैसा हर बच्चा क्या कभी भी आज़ादी मना पायेगा???

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