Wednesday, March 11, 2015

माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !!!


क्यों लडती है मेरे लिए तू ...अपनी हिम्मत शुरू में ही हार दे ,
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !!!

इस दुनिया में आकर भी क्या करुँगी ,
ऐसे नहीं तो वैसे ,एक न एक दिन तो मैं मरूंगी ,
फिर क्यों तू अपनी खुशिया मुझ पे वार दे ?
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !!!!

शादी की बात निकलेगी ,
तो माँ समान सास 'car' दहेज़ में लेगी ,
पिता समान ससुर सौ शर्ते रखेगा ,
परमेश्वर जैसा पति जलाने की धमकी देगा ,
अपना पेट काटकर क्यों ऐसे भेडियो को तू car दे ?
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

घर से निकलूंगी तो बेवजह लड़के छेड़ जायेंगे ,
विरोध प्रकट करने पर इज्ज़त ही लूट ले जायेंगे ,
इस से पहले कोई मेरी इज्ज़त तार -तार दे ,
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

दुनिया में न आ पाऊँगी ,तो बेटी न बन पाऊँगी ,
बड़ी न होने दोगे तो पत्नी या माँ भी न कहलौंगी ,
फिर वंश चलाने वाले तू विधाता से कहकर देखना 'एक जननी उधार दे ',
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

देवी दुर्गा ,माता लक्ष्मी , माँ सरस्वती ,धरती माँ का रूप हु ,
क़र्ज़ है तुमपर मेरा ,फिर भी ज़ुल्म सहकर मैं चुप हु ,
मेरी रक्षा न कर सके ...इन देवियों का तो क़र्ज़ उतार दे ,
माँ तू मुझे कोख में ही मार दे !

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